किशोरी सिन्हा महिला महाविद्यालय, औरंगाबाद की स्थापना का निर्णय 1978 के अगस्त महीने में प्रबुध्जनो की बैठक में लिया गया | जिला में सर्वप्रथम एकमात्र महिला महाविद्यालय के रूप में अभिभूत होना औरंगाबाद जिला के शिक्षा जगत में एक ऐतिहासिक घटना है | इस महिला महाविद्यालय के निर्माण में जिन व्यक्तियों ने महतवपूर्ण भूमिका अदा की उनमे स्व० सत्येन्द्र नारायण सिंह, स्व० ठाकुर मुनेश्वर नाथ सिंह, स्व० रमेश प्रसाद सिंह , प्रो० गोविन्द प्रसाद सिंह और स्व० ब्रजकिशोर सिंह के नाम विशेष उल्लेखनीय है | इस महिला महाविद्यालय का नामकरण स्व० सत्येन्द्र नारायण सिंह पूर्व मुख्यमंत्री, बिहार की धरमपत्नी श्रीमती किशोरी सिन्हा के नाम पर किया गया | डॉ. सरोजिनी सिन्हा को संस्थापक प्राचार्या के रूप में नियुक्त किया गया |
राज्य सरकार ने 1980-82 सत्र से ही संबद्धता प्रदान किया | जिला में एकमात्र महिला महाविद्यालय होने का गौरव प्राप्त होने के कारण राज्य सरकार ने इसे 1986 में मगध विश्वविद्यालय, बोध गया के अन्तरगत अंगीभूत महाविद्यालय का दर्ज़ा प्रदान किया |
एक छात्रा से प्रारंभ यह महाविद्यालय आज हजारो लडकियों को कला और विज्ञानं की शिक्षा दे रहा है | यहाँ प्रारंभ से ही कला और विज्ञान में बी.ए. और बी.एस.सी. प्रतिष्टा स्तर तक पढाई होती रही है और शिक्षण और परीक्षाफल के दृष्टिकोण से मगध विश्वविद्यालय में इस महाविद्यालय का विशिष्ट स्थान है | हिंदी, उर्दू, राजनीती शास्त्र, इतिहास, भूगोल, मनोविज्ञान, गृहविज्ञान, अर्थशास्त्र, प्राचीन इतिहास, समाजशास्त्र, दर्शनशास्त्र, भौतिक विज्ञान, जीवविज्ञान, वनस्पति विज्ञान, रसायन विज्ञान, गणित, पली, संस्कृत तथा व्यवसायिक पाठ्यक्रम के अन्तरगत B.C.A. प्रतिष्टा स्तर की शिक्षा दी जाती है | जिले के कोने कोने से छात्रायें इस महिला महाविद्यालय में आती है और शिक्षा ग्रहण करती है | जहां तक खेल-कूद और सांस्कृतिक कार्यक्रम का प्रशन है छात्रायें इसमें भी पीछे नहीं है |
जिला का एकमात्र महिला महाविद्यालय एक छोटे से किराये के भवन में प्रारंभ होकर आज दानी बीघा, औरंगाबाद स्थित अपने परिसर में संचालित हो रहा है, जहा खेल-कूद इत्यादि की सारी सुविधा प्राप्त है | आज यहाँ आस-पास के ग्रामीण इलाकों से लड़किया आकर शिक्षा ग्रहण करती है | दूर-दराज़ से आनेवाली छात्रओं की परेशानी को देखते हुए डॉ० राजकिशोरी देवी, प्राचार्या के अथक प्रयास से U.G.C. के दसवी पंचवर्षीय योजना से एक महिला छात्रावास का निर्माण कराया गया है |
महाविद्यालय अपने ज़मीन पर नवनिर्मित निजी भवन में डॉ० रेखा कुमारी, प्राचार्या के कुशल निर्देशन में पठन पाठन का कार्य संचालित कर रहा है, जहां महाविद्यालय का स्वरुप स्वतंत्र और मुक्त वातावरण में और निखर गया है |